अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अर्थ: हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने more info जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
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बृहस्पतिदेव की कथा
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ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
अंग गौर Shiv chaisa शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
धन निर्धन shiv chalisa in hindi को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
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